Monday, December 23, 2024
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साँचीयाव माता का 3 दिवसीय मेला 18 जून से शुरू

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◆जावाल में होगा साँचीयाव माता का मेला

◆हजारों की तादाद में शामिल होते हैं श्रद्धालु

◆मेले की तैयारीयो में जुटे कार्यकर्ता, ◆संत महात्माओं का रहेगा शानिध्य

सिरोही/ जावाल (रमेश टेलर)जावाल शहर के श्री चामुंडा गरबा मंडल के तत्वाधान में 3 दिवसीय क्षेत्र के ऐतिहासिक मेले का आयोजन 18 जून से शुरु होगा।
श्री नीलकंठ (लीलाधारी) महादेव का तेहरवा व श्री साँचीयाव माता का उन्नीसवाँ वार्षिकोत्सव के उपलक्ष में मेले का आयोजन होता हैं।

महोत्सव को लेकर मंडल के कार्यकर्ता व शहरवासी जोश के साथ तैयारियों में लगे हुए है। नीलकंठ महादेव मंदिर सांचियांव माता मंदिर समेत नगर के मंदिरों के साथ नगर में जगह जगह रंग बिरंगे मांडपो के साथ लाइट डेकोरेशन से सजाया जा रहा हैं।
श्री चामुंडा गरबा मंडल के नारायणलाल सुथार ने बताया तीन दिवसीय महोत्सव का श्री गणेश 18 जून को रात्रि में भजन संध्या होगा।
वही 19 जून को नगर में भव्य शोभायात्रा एवं जलयात्रा निकाली जाएगी । यात्रा गोल रॉड अम्बाजी मन्दिर से रवाना शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरेगी । इस दौरान जलयात्रा में घोड़े बैंड बाजे डीजे के साथ श्रंगारित व दिल्ली के मनोज रिया शर्मा एन्ड पार्टी द्वारा देवी देवताओं की झांकिया साथ रहेगी। व मंदिर परिसर में यज्ञ परारंभ किया जाएगा व रात्रि में भव्य भक्ति संख्या का आयोजन होगा जिसमे मनोज रिया एंड शर्मा द्वारा नाट्य प्रस्तुतियां दी जाएगी।
20 जून को दोनो मंदिरों में महाभिषेक, महापूजन, महाआरती, ध्वजारोहण , महाभोग के साथ महाप्रसादी (फ्लेचुंदड़ी ) प्रारंभ होगी। जिनसे हाजरो की तादाद में श्रद्धालु बड़े प्रेम से प्रसाद ग्रहण करते हैं।
मेले के आयोजन एवं महाप्रसादी ( फ्लेचुंदड़ी) के लाभार्थी माली श्रीमती ओटीबाई धर्मपत्नी स्व अम्बालालजी माली की ओर से किया जा रहा हैं। वार्षिकोत्सव को ले कर कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह नजर आ रही हैं। तो वही अलग राज्यों में रहने वाले प्रवासी भी मेले में शरीक होने के अपने नगर पहुंच रहे। साथ ही आसपास क्षेत्र के संत महात्माओं का भी सानिध्य रहेगा।
*पच्चीस बीघों में भरता है मेला*
जावाल में साचियाव माता व नीलकंठ महादेव मंदिर का वार्षिकोत्सव करीब पच्चीस बीघा भूमि में मेला भरा जाता है। जिसमे करीब 15 बीघा भूमि में हजारों श्रदालुओ के लिए प्रसादी ग्रहण की व्यवस्था की जाती है। तो शेष जगह में जुले आदि व हाट बाजार बाजार लगे होते हैं जहां श्रद्धालु मेले का लुफ्त उठाते हैं।

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