जावाल में वर्षो से हो रहे है ऐतिहासिक गराबा
मानो स्वर्ग लोक से देवता जमी पर उतर आये हो
सिरोही । (रमेश टेलर)जावाल में श्री चामुंडा गराबा मंडल के तत्वाधन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ऐतिहासिक गरबो का आयोजन किया जा रहा हैं
जावाल में गरबो के दौरान मानो स्वर्ग लोक से देवता जमी पर उतर आये हो…. हां ऐसा ही कुछ जावाल के साँचीयाव माता मंदिर परिचर में हो रहे गरबो के दौरान देखने को मिल रहा हैं। जहां गरबो में युवा देवी देवताओं की वेशभूषा में गराबा नृत्य कर रहे है। जिसे देखने के लिए देर रात आसपास से आये श्रद्धालु पांडाल में डटे रहते है।
◆251 किलो घी से बनी प्रतिमा आकर्षण केंद्र
जावाल में करीब 21 साल से घी से अलग अलग देवीदेवताओं की प्रतिमाएं बनाई जा रही है। तो इस बार 251- किलो घी से निर्मित शिवशक्ति के साथ नन्दी की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। घी से बनी प्रतिमा को देखने के लिए दूर दराज से दिनभर श्रधालुओ का तांता लगा रहता हैं। घी की प्रतिमा बंनाने के लिए गुजरात के आंनद से कारीगरों की टीम आ कर 5,6 की कड़ी महेनत कर प्रतिमाओं को बनाते है। एक बार तो घी से बनी प्रतिमा को देख कर लोगो को यकीन करना भी मुश्किल होता है की प्रतिमाएं किसी पत्थर से बनी है या घी से..! घी की प्रतिमाओं को 0% टेम्परेचर में रखने के लिए जम्बो कूलरों के साथ बर्फ की शिलाएं रखी जाती जिस कारण 11 दिनों तक बिना पिघले घी के प्रतिमायें सुरक्षीत रहती हैं।
◆11 दिनों बाद घी की प्रतिमा का होगा विषर्जन
वातावरण के अनुकूल पांडाल में स्थापित घी से बनी प्रतिमाओ को 11 दिन तक दर्शनार्थियों में लिए विशेष पांडाल में रखी जाती है 11 दिन बाद शोभायात्रा के साथ प्रतिमाओं को पास के बांध में विषर्जन किया जाता हैं।।
◆इनका कहना – श्री चामुंडा गराबा मंडल के वरिष्ठ नारायण लाल सुथार ने बताया की गराबा मंडल की स्थापना हुए इस वर्ष करीब 32 वर्ष हो गये है जो आज तक लगातार जारी है। सुथार ने बताया की गरबो के दौरान हम हर्ष वर्ष कुछ न कुछ नया कर के जावाल के गरबो की पहचान बनाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया कि जावाल के गरबो को देखने के लिए दूरदराज से श्रद्धालु पांडाल में पहुंच कर देर रात तक गरबो का लुफ्त उठाते हैं। उन्होंने बताया कि अतिशय भीड़ को देखते हुए मुख्य गेट पर एलईडी लगाई जाती है। गरबो के दौरान भामाशाह भी दिलखोल कर सहयोग करते है।