Sunday, December 22, 2024
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राष्ट्रपति बोलीं- आध्यात्मिकता शुद्घ कर्मसे मन को संवारने का मार्ग

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◆आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज में वैश्विक शिखर सम्मेलन की शुरूआत 

◆स्वस्थ-स्वच्छ समाज पर चर्चा-

जालोर/सिरोही । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में शुक्रवार को वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया।

इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने सम्बोधन में विश्व शांति, अध्यात्म, ग्लोबल वार्मिंग पर बात करते हुए केंद्र सरकार की योजनाओ स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन और आयुष्मान भारत योजना की सराहना भी की। इसके पूर्व सुबह मान सरोवर परिसर में उन्होंने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण कर 140 करोड़ देशवासियों से पौधारोपण का आहृान किया।
डायमंड हॉल में आध्यात्मिकता द्वारा स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज विषय पर आयोजित सम्मेलन में संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शांति और एकता का महत्व बताते हुए आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब धार्मिक होना या सांसारिक कार्य का त्याग करना नहीं है। आध्यात्मिकता का अर्थ है अपने भीतर की शक्ति को पहचानकर अपने आचरण और विचारों में शुद्धता लाना। उन्होंने विचारों और कर्मों की शुद्धता की बात करते हुए इसे स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए आवश्यक बताया।

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