◆चोराई के कैर, कुमट, सांगरी का पंचकूटा राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस भोपाल में रहेगा आकर्षण का केंद्र
भाद्राजून। अमर ज्योति स्कूल भाद्राजून का बाल वैज्ञानिक रविन्द्रसिंह 3 से 6 जनवरी 2025 तक आयोजित राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में प्रेदेश का प्रतिनिधित्व करेगा। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला समन्वयक व मार्गदर्शक शिक्षक हनुमान सिंह बिठू ने बताया कि 31वी राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन मध्यप्रदेश विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा 3 से 6 जनवरी 2025 तक भोपाल में होना है। जिसमे राजस्थान सहित भारत के सभी राज्यो, केंद्र शासित प्रदेशों व दक्षिण एशिया के पाकिस्तान, नेपाल मालदीव, भूटान, श्रीलंका सहित कई देशों के बाल वैज्ञानिक मानव कल्याण के लिए परिस्थितिकी तंत्र विषय के विभिन्न उप विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। उसी क्रम में राजस्थान की टीम में बाल वैज्ञानिक रवींद्र द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाएं विषय पर रिसर्च प्रस्तुत किया जाएगा।
ग़ौरतलब है की मारवाड़ व चौराई क्षेत्र में शीतला सप्तमी पर बासोडा व्यंजन में पंचकुटा (कैर,सांगरी, कुमट, गोंदा, लाल मिर्च) का बड़ा ही महत्व है, जिसका धार्मिकता के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। यह व्यंजन लंबे समय तक खराब नहीं होने वाला व स्वास्थ्य को निरोगी रखने की अचूक ओषधि है। बाल वैज्ञानिक रविन्द्र इसी विषय पर अपने रिसर्च प्रस्तुत करेगा। वही बड़ी मात्रा में पंचकुटा तैयार करके भी अपने साथ लेकर जाएगा जिसको वंहा निर्णायक वैज्ञानिको को भोजन में परोसा भी जाएगा। यह पहला मौका है जब जालोर जिले से कोई बाल वैज्ञानिक राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक कांग्रेस में भाग ले रहा है। भाद्राजून जैसे सुदूर ग्रामीण इलाके के लिए ये बहुत ही गर्व का विषय है। गांव के गणमान्य नागरिकों, जनप्रतिनिधियों व शिक्षाविदों ने रविन्द्र को विद्यालय पंहुचकर शुभकामनाए प्रस्तुत की है। वही अमर ज्योति संस्था और टैक्सी यूनियन भाद्राजून द्वारा रविन्द्र के वापस आने पर अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
बाल वैज्ञानिक का कहना…
मैंने मेरे गुरुजी हनुमानसिंह की प्रेरणा व उनके निर्देशन में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला, संभाग व राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर उच्च स्थान प्राप्त किया है अभी उसी परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में भाग लेने जा रहा हूँ ।
-रविन्द्र सिंह, बाल वैज्ञानिक भाद्राजून।