जालोर। आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित के नेतृत्व विधान सभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के नाम उपखंड अधिकारी आहोर को ज्ञापन सौंपा जिसमें बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं सचिन पायलट की अन्तर्कलह के कारण साढ़े चार साल प्रदेश की आम जनता को राहत देने की बजाय दिव्यांग, बुजुर्ग महिलाओं को कड़ी धूप में कई घण्टों तक कतार में खड़ा कर प्रताडित करने का काम गहलोत सरकार कर रही हैं. जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘डायरेक्ट बेनिफिट योजना के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में सब्सिडी पहुँचाई जा रही है।
गहलोत सरकार ने 2022-23 के बजट में 100 यूनिट बिजली प्रतिमाह मुफ्त देने की घोषणा की थी, परन्तु 90 दिन से अधिक समय व्यतीत हो के बाद भी उपरोक्त घोषणा लागू नहीं हुई है। राज्य सरकार ने 3 साल से फ्यूल सरचार्ज के नाम से 1 करोड़ 39 लाख घरेलू उपभोक्ताओं से हर माह वसूली की जा रही है। डिस्कॉम ने पिछले अप्रैल माह में 45 पैसे फ्यूल सरचार्ज लगाया और अब फिर मई माह में 52 पैसे प्रति यूनिट सरचार्ज लगाया जायेगा। गहलोत सरकार के सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक लगभग 15 बार से भी अधिक बिजली दरों में फ्यूल सरचार्ज लगाया गया। 3 साल मै घरेलू उपभोक्ताओं से 3 हजार 700 से अधिक फ्यूल सरचार्ज के नाम से वसूली की जा चुकी है। गहलोत सरकार ने 07 पैसे प्रति यूनिट अडाणी कर लगाया है। • कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि 5 वर्ष तक बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं करेंगे, परन्तु 6
बार से भी अधिक बिजली दरों में बढ़ोतरी की गई।
• किसानों को दिन में बिजली देने का वादा 3 बजट में राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2022 से लागू होनी थी। परन्तु आज दिन तक किसानों को सर्द रात में ही बिजली 2 से 3 घण्टे दी गई।
• केन्द्र सरकार की “कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पम्प दिये जाने थे. राज्य सरकार की उदासीनता के कारण किसानों को सोलर पम्प नहीं दिये गये।
• उद्योगों को बिजली उपलब्ध नहीं हो रही है, जो हो भी रही है उसमें भी जो रोटेशन निर्धारित किया गया था, उसमें भी कटौती की जा रही है। प्रदेश में उद्योग लगाने का प्रोत्साहन देने की बात करती है, जबकि गहलोत सरकार बिजली भी पर्याप्त रूप से नहीं दे पा रही है।
• प्रदेश की गहलोत सरकार दो भागो में बंटी हुई है, कांग्रेस सरकार के मंत्री खुले मंच से अपनी सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बता रहे है।
• आचार संहिता लगने के महज साढ़े चार माह पहले राहत शिविर के नाम पर सरकार अपना प्रोपेगैंडा चला रही है। राहत शिविरों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के बजाय प्रोटोकॉल भूल कर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष तय करते हैं कि किस नेता को भाषण बाजी के लिए कैंप में भेजना है।
राहत शिविरों में जो गारंटी दी जा रही है वह तो बजट घोषणा में शामिल थी जिसे 01 अप्रैल से स्वतः ही लागू हो जाना चाहिए था, महगाई राहत कैंप के नाम पर पहले से चल रही केन्द्र सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों की योजनाओं का पुनः पंजीकरण कराने से आमजन को सिवाय परेशानी के काई लाभ नहीं होगा।
• कांग्रेस सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना जब 500 से बढ़ाकर 750 प्रतिमाह की तब इसका पुनः पंजीकरण नहीं कराया गया और जब 750 से 1000 की तब इसका पुनः पंजीकरण क्यों कराया गया ऐसे ही चिरंजीवी योजना में बीमा राशो 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की गई तब इसका पुनः पंजीकरण नहीं कराया गया, इसी तरह निःशुल्क बिजली योजना में कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया। पूर्ववती भाजपा सरकार में जो फ्यूल सरचार्ज 18 पैसे प्रति यूनिट हुआ करता था, वह कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 60 पैसे प्रति यूनिट औसतन कर दिया। 2018 में बिजली की प्रति यूनिट दरें 5 रुपए 55 पैसे हुआ करती थी वह अब बढ़ाकर 11 रूपए 90 पैसे कर दी गई है।
• राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम के 10 धर्मल व हाइडल प्लांट और 3 अन्य पॉवर प्लांट हैं जिनकी कैपेसिटी 8597.35 मेगावाट बिजली उत्पादन की है, लेकिन सरकार की नीतियों के चलते
कोयले की कमी, तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर यह उत्पादन घटकर महज 3500 से 4000 मेगावाट पर आ गया। वहीं प्रदेश सरकार के गलत प्रबंधन के चलते प्रदेश में प्रति माह 5 से 7 थर्मल
पावर प्लांट बंद हो जाते हैं।
• विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के मामले में भी प्रदेश में 17 हजार 143 मेगावाट के विदयुत संयंत्र लगे होने के बावजूद इनसे पैदा होने वाली बिजली में प्रदेश की जनता को 3 हजार 326 मेगावाट बिजली ही मिल पाती है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में उत्पादित बिजली का 23 फीसदी 12:51 हिस्सा ही प्रदेश को मिल पाता है, जबकि 77 फीसदी उपयोग प्रदेश के बाहर निजी विदयुत कम्पनियाँ
के उपयोग में आ रही है।
• कोयला खरीद में व्याप्त घोटाले में कोयला कंटेनरों में 30 प्रतिशत कोयले की चोरी पकड़ी गई है, जिसमें औसतन एक कंटेनर में 10 लाख का कोयला होता है। प्रतिदिन 500 से 600 ट्रकों से कोयला चोरी किया जाता है। गाँवो और शहरों में अघोषित बिजली कटौती एक तरफ सरकार 23:309 मेगावाट क्षमता बिजली उत्पादन के साथ सरप्लस बिजली होने की बात कहती है, दूसरी तरफ प्रदेश
में शहरी और
ग्रामीण क्षेत्रों में 6-10 घण्टे अघोषित बिजली कटौती करती है। घरेलू श्रेणी की महंगी बिजली दरों के
मामले में राजस्थान देश में चौथे नम्बर पर है। • पेयजल संकट की स्थिति प्रदेश में बदतर है 11,440 गाँव में पानी के टैंकर भिजवाये गए, लेकिन उनका भुगतान नहीं होने के चलते पेयजल व्यवस्था ठप्प हो गई है, प्रदेश के सैकड़ों गाँवों में पेयजल व्यवस्था राम भरोसे है, केन्द्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना का बुरा हाल करने में प्रदेश की
कांग्रेस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
• प्रदेश के करीब डेढ़ करोड विद्युत उपभोक्ताओं को 17 रुपए प्रति यूनिट बिजली महंगी दी जा रही है। गहलोत सरकार में साल 2021 में 13 हजार 793 करोड़ तक की महंगी बिजली खरीदी गई। उसके बावजूद अन्य राज्यों के मुकाबले 40 प्रतिशत मंहगी बिजली उद्योगों को दी जा रही है। महंगी बिजली खरीद के बाद फिर कटौती का संकट उद्योगों को झेलना पड़ रहा है, प्रत्येक सप्ताह में शाम 7:00 बजे से सुबह 5.00 बजे तक रोटेशन के नाम पर बिजली कटौती की जा रही है इस दौरान जिला उपाध्यक्ष ईश्वरसिंह थुंबा, शशि कंवर, मिश्रीमल मेघवाल, मण्डल अध्यक्ष हकमाराम प्रजापत, मांगीलाल राव, महावीरसिंह पानवा, भोपाजी लाखाराम देवासी, सरपंच लीलादेवी मेघवाल, दीपक कुमार, मोहनलाल, शंकरदान, बंशीलाल सुथार, दिनेशसिंह राठौड़, बिशनसिंह सोलंकी, मोहन मेवाड़ा, अनोपसिंह, गजेंद्रसिंह मांगलिया, महेंद्रसिंह, कानाराम, देवेंद्र सुथार, सोहनलाल सुथार, किशनाराम प्रजापत, समुंदरसिंह कोराना, मोहनलाल मीना, शिवलाल घांची, पुखराज ओड सहित कई भाजपाई मौजूद रहे।