Monday, December 23, 2024
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पादरली में हिलोरा समंदर,उमड़ा जनसैलाब

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प्राचीन रवायत की पालना कर दिया समरसता का संदेश

भाई ने बहनों ने समंदर हिलोर कर ओढ़ाई चुंदड़ी

तखतगढ़(पाली)। समीपवर्ती पादरली गांव में बुधवार को भाई-बहनों ने समंदर हिलोरने की परम्परा का निर्वहन किया। इस मौके पर भाइयों व बहनों के अलावा जनसैलाब उमड़ा दिखा।

वही,सुबह ट सुमधुर स्वरलहरियों पर नाचते-गाते महिलाएं सिर पर श्रंगारित मटका लेकर तालाब पर पहुंची। नवविवाहित महिलाएं व उनके भाइयों ने पानी में मटके को हिलाया तथा एक-दूसरे को अपने हाथो से पानी पिला आशीर्वाद स्वरूप स्वस्थ जीवन व दीर्घायु की कामना की। भाइयों ने बहनों को भेंट-पूजा अर्पित कर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। यहां भाइयों ने बहन को चुनरी ओढ़ाकर अपने हाथ से तालाब का पानी पिलाया।इससे पूर्व महिलाओं ने विभिन्न परिधानों से सज-धज कर तालाब के चारों ओर परिक्रमा लगाते हुए परम्परागत लोक गीत गाये। उन्होंने ओ म्हारा सासूजी समंदरियों हिलोरा खाए…, जेठ-आषाढ़ वरिया-वरिया…, वीरा दल बादल उजले…, आदि गीत गा कर पुरानी परंपरा निभाई तथा व्रत रखा। इसके बाद अपने घर से सांकलियों से भरा मटका लेकर तालाब पर पहुंची। बुजुर्गों की ओर से तालाब पर प्रेम सभा का आयोजन किया गया। प्रसादी के रूप में गुड़, आटे व घी से बनी सकली और मातर कार्यक्रम में मौजूद लोगों मे वितरित की।

यह है मान्यता– पुराने जमाने में लोगों के पास धन की कमी होने के साथ ही संसाधनों का भी अभाव था। ऐसे में बरसाती पानी सहजने के लिए स्त्रोत बनाने थे।जानकार लोगों ने गुरुवर की आज्ञा से यह प्रथा चलाई कि एक साल में 3 सौ 65 दिन होते है और हर एक महिला एक महिने में 3 सौ 65 तगारी मिट्टी खोदेगी तथा नाडी-तालाब का निर्माण करेगी। इस प्रकार हर गांव में हजारों महिलाओं ने असंख्य बरसाती पानी सहजने के लिए स्त्रोंतों को बनाकर खडा़ कर दिया जो आज हमारे संमुख है। महिलाओं की ओर से किये गये श्रमदान के एवज में भाई अपनी बहनों को आज भी भेंट पूजा अर्पित कर उसके सुखमय जीवन की कामना करता है।

फोटो सेल्फी कर क्रेज- तालाब की पाल पर भाई- बहन के पवित्र समंद्र मंथन में बहनों व भाइयों के मोबाइलों से फोटो व सेल्फी खींचने का खूब क्रेज दिखा।

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