भाद्राजून । निकटवर्ती ग्राम बाला से मोतीसरी होकर प्राचीनतम आस्था का केंद्र नीलकंठ स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर तक महज 6 किलोमीटर वर्षों पहले बना डामरीकरण रोड़ टुटकर बिखर गया। मार्ग पर खड्डे व पत्थर हो गये है तथा झाड़ीयो से रोड़ ढक गया है। ऐसे में बारिश के दिनों में राहगीरों को भारी समस्या होती है। साथ ही आस्था का केंद्र नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शनार्थ हेतू महिलाएं, बच्चे आदि दर्शनार्थी पैदल व दुपहिया वाहन आदि से दर्शन करने जाते हैं। जिससे बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है। श्रावण व भाद्रपद माह में गुजरात, सांचौर भीनमाल आदि स्थानों से पैदल यात्रि रूणिचा बाबा रामदेवजी के दर्शन करने हेतू पैदल यात्रियों के लिए बाला से वाया नीलकंठ,खंडप, सिवाना, बालोतरा, कल्याणपुर, बाड़मेर के लिए इसी मार्ग से पैदल व वाहन से सीधा रास्ता पड़ता है। पैदल यात्रियों के लिए जातरू व अन्य यात्रियों के लिए इसी मार्ग से टुटे हुए मार्ग, खड्डों से होकर गुजरना पड़ता है। जिससे पैरों में चोट लग जाती है और चोटिल हो जाते हैं। बाला से नीलकंठ महज 6 किलोमीटर इस जर्जर रोड के लिए स्थानीय ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों को लिखित में अवगत करवाया गया।